आज विश्व रेडियो दिवस है ।भारत में रेडियो का इतिहास बहुत उज्ज्वल रहा है । किसी जमाने में विविध भारती की तूती बोलती थी । इससे पहले रेडियो सीलोन का बोलबाला था । १९८० तक यह हर घर की शान हुआ करता था ।लेकिन उसके बाद टेलीविजन और अन्य आधुनिक मनोरंजक संसाधनों की बढ़ती लोकप्रियता के चलते यह भारतीय घरों से धीरे-धीरे विलुप्त होने लगा । २००२ के आते-आते शहरी अंचल से यह लगभग नदारद होने लगा । आया फिर FM का ज़माना | FM की साफ़ और मधुर आवाज के कारण लोगों ने इसे हाथों- हाथ
लिया | और इसकेबाद तो FMGold ने सारे समीकरण बदल कर रख दिए ।अब युवा, प्रौढ़ और बुजुर्ग सामान रूप से FM Gold के कार्यक्रम सुनते हैं । रेडियो अब दिनों-दिन अपनी लोकप्रियता की बुलंदियां पुनः छूने की स्थिति में पंहुचने के करीब है ।
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